चलता हूं फिर
चलता हुआ फिर 5 साल बाद आएंगे,
फिर से एक बार युवाओं का ब्रेनवाश करेंगे,
कुछ धार्मिक उन्माद फैला आएंगे,
युवाओं का खून खौलाएंगे,
विभिन्न समुदायों में घृणा पैदा करेंगे,
फिर सता को छीन लेंगे।
विदेशों में जाएंगे और
विदेशों से कुछ ना पाएंगे,
फिर आकर देश में बहाना बनाएंगे,
इसमें अब मेरा क्या है दोस्त?
आज भी पश्चिम देश मुझे
गरीब कमजोर प्रधानमंत्री ही समझता है।
सता आएगी सता जाएगी,
दोनों ही तरफ से मुझे ही फायदा,
क्योंकि नहीं है दूसरा विकल्प यहां,
यह है भारत का लोकतंत्र।
परीक्षाओं से करते है चपरासी बहाल,
हम तो हैं यहां मालामाल,
कौन उठेगा मेरे खिलाफ?
कृषि सेस के नाम पर करोड़ों हम कमाएंगे,
नहीं होगा विकाश कृषि का,
किसान को फांसी दिलाएंगे।
चलता हुआ अब 5 साल बाद आएंगे।
इमानदारी तो एक बहाना है,
हमें तो जीएसटी से पैसा कमाना है,
12.5% से उठाकर 28% टैक्स कर दिया,
रेलवे किराए में भी हमने कई बार बढ़ोतरी कर दिया,
70% गरीब आबादी ट्रैवल कहां से कर पाएंगे,
ना देख पाएंगे देश न देख पाएंगे दुनिया,
घर में ही रहेंगे लाचार सा,
आवाज कहां से उठाएंगे?
हम तो हैं मालामाल
हमें क्या है विकास की तकरार,
अब चलता हुआ फिर 5 साल बाद आऊंगा।
फिर से एक बार युवाओं का ब्रेनवाश करेंगे,
कुछ धार्मिक उन्माद फैला आएंगे,
युवाओं का खून खौलाएंगे,
विभिन्न समुदायों में घृणा पैदा करेंगे,
फिर सता को छीन लेंगे।
विदेशों में जाएंगे और
विदेशों से कुछ ना पाएंगे,
फिर आकर देश में बहाना बनाएंगे,
इसमें अब मेरा क्या है दोस्त?
आज भी पश्चिम देश मुझे
गरीब कमजोर प्रधानमंत्री ही समझता है।
सता आएगी सता जाएगी,
दोनों ही तरफ से मुझे ही फायदा,
क्योंकि नहीं है दूसरा विकल्प यहां,
यह है भारत का लोकतंत्र।
परीक्षाओं से करते है चपरासी बहाल,
हम तो हैं यहां मालामाल,
कौन उठेगा मेरे खिलाफ?
कृषि सेस के नाम पर करोड़ों हम कमाएंगे,
नहीं होगा विकाश कृषि का,
किसान को फांसी दिलाएंगे।
चलता हुआ अब 5 साल बाद आएंगे।
इमानदारी तो एक बहाना है,
हमें तो जीएसटी से पैसा कमाना है,
12.5% से उठाकर 28% टैक्स कर दिया,
रेलवे किराए में भी हमने कई बार बढ़ोतरी कर दिया,
70% गरीब आबादी ट्रैवल कहां से कर पाएंगे,
ना देख पाएंगे देश न देख पाएंगे दुनिया,
घर में ही रहेंगे लाचार सा,
आवाज कहां से उठाएंगे?
हम तो हैं मालामाल
हमें क्या है विकास की तकरार,
अब चलता हुआ फिर 5 साल बाद आऊंगा।
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