बारिश और पुरानी यादें
पटना में भारी बारिश के कारण जनजीवन बाधित। लोगों के घरों में घुसा पानी। जनजीवन बाधित।
ऐसे ही वर्षा के दिनों में, मैं गांव पर रहता था तो बारिश में भीग कर भी भैंस चराया करता था।
शुरू के दिनों में मैं भैंस चराया करता था। बारिश में भीग कर भी ठिठुरते हुए भैंस चराते थे। कई कई बार बिजली कड़कती रहती थी, पत्थर गिरते रहता था । पेड़ के नीचे गया तो बिजली गिर पड़ी। मुझे आग सा महसूस हुआ फिर दो-चार दिन बाद वह पेड़ सुखा हुआ देखा। अभी भैंस चराने का काम जारी रखा परंतु अब पेड़ के पास नहीं बैठता था।
भैंस चराते समय पैर से नहर पर सांप दब जाते थे ,काट भी लिया करते थे। मगर मैं किसी को बताता नहीं था। घरवाले सोचेंगे थोड़ा सा सांप नोचा है तो क्या हो जाएगा? नहर पर तरह-तरह के कीड़े काटते रहते थे। क्योंकि नहर पर झाड़ियां थी । झाड़ियों के बीच में रहकर में भैंस चराया करता था।
ऐसे ही वर्षा के दिनों में, मैं गांव पर रहता था तो बारिश में भीग कर भी भैंस चराया करता था।
शुरू के दिनों में मैं भैंस चराया करता था। बारिश में भीग कर भी ठिठुरते हुए भैंस चराते थे। कई कई बार बिजली कड़कती रहती थी, पत्थर गिरते रहता था । पेड़ के नीचे गया तो बिजली गिर पड़ी। मुझे आग सा महसूस हुआ फिर दो-चार दिन बाद वह पेड़ सुखा हुआ देखा। अभी भैंस चराने का काम जारी रखा परंतु अब पेड़ के पास नहीं बैठता था।
भैंस चराते समय पैर से नहर पर सांप दब जाते थे ,काट भी लिया करते थे। मगर मैं किसी को बताता नहीं था। घरवाले सोचेंगे थोड़ा सा सांप नोचा है तो क्या हो जाएगा? नहर पर तरह-तरह के कीड़े काटते रहते थे। क्योंकि नहर पर झाड़ियां थी । झाड़ियों के बीच में रहकर में भैंस चराया करता था।
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